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फेफड़ों के कैंसर के विभिन्न प्रकारों को समझना

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फेफड़ों के कैंसर के विभिन्न प्रकारों को समझना

फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, और यह कैंसर मृत्यु के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। इसे मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है: स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) और नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC)। इन दोनों प्रकारों में कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं जो निदान और उपचार को प्रभावित करते हैं। इस ब्लॉग में हम इन दोनों प्रकारों को विस्तार से समझेंगे और उनके कारण, लक्षण, निदान और उपचार के विकल्पों पर विचार करेंगे।

स्मॉल सेल फेफड़ों का कैंसर (Small Cell Lung Cancer)

स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) एक आक्रामक प्रकार का फेफड़ों का कैंसर है जो तेजी से बढ़ता है और शीघ्र ही शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है। इसे ओट सेल कार्सिनोमा (Oat Cell Carcinoma) के नाम से भी जाना जाता है। यह फेफड़ों के कैंसर के कुल मामलों का लगभग 10-15% होता है।

कारण और जोखिम कारक (Causes and Risk Factors of Small Cell Lung Cancer in Hindi)

स्मॉल सेल लंग कैंसर के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

  1. धूम्रपान: धूम्रपान SCLC का सबसे प्रमुख कारण है। धूम्रपान करने वालों में इस प्रकार का कैंसर विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। 90% से अधिक SCLC मामलों का संबंध धूम्रपान से होता है।
  2. रसायनों के संपर्क में आना: एस्बेस्टस और रेडॉन गैस जैसे हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से भी SCLC का जोखिम बढ़ सकता है।
  3. पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर हुआ हो, तो इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

लक्षण और संकेत (Symptoms and Signs of Small Cell Lung Cancer in Hindi)

स्मॉल सेल लंग कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  1. खांसी और सांस की तकलीफ: लगातार खांसी, जिसमें खून आना भी शामिल हो सकता है, और सांस लेने में कठिनाई।
  2. वजन घटना और थकान: बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन घटना और अत्यधिक थकान महसूस करना।
  3. छाती में दर्द: गहरी सांस लेते समय या खांसते समय छाती में दर्द होना।
  4. आवाज में बदलाव: आवाज का भारी या बदल जाना।

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निदान (Diagnosis Process of Small Cell Lung Cancer in Hindi)

SCLC के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं:

  1. इमेजिंग परीक्षण (Imaging Tests): छाती का एक्स-रे, सीटी स्कैन, और एमआरआई स्कैन। ये परीक्षण फेफड़ों में ट्यूमर की उपस्थिति और उसके आकार की पहचान करने में मदद करते हैं।
  2. बायोप्सी (Biopsy): संदिग्ध टिशू का नमूना लेकर माइक्रोस्कोप के तहत जांच करना। बायोप्सी से कैंसर की सटीक प्रकार और उसकी आक्रामकता का पता चलता है।

उपचार विकल्प (Treatment Options for Small Cell Lung Cancer in Hindi) 

स्मॉल सेल लंग कैंसर के उपचार में निम्नलिखित विकल्प शामिल हैं:

  1. कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए शक्तिशाली दवाओं का उपयोग। यह SCLC के उपचार का मुख्य आधार है।
  2. रेडियोथेरेपी (Radiotherapy): उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना। यह कीमोथेरेपी के साथ या उसके बाद दिया जा सकता है।
  3. सर्जरी (Surgery): SCLC में सर्जरी का उपयोग कम किया जाता है क्योंकि यह तेजी से फैलता है और निदान के समय अक्सर उन्नत अवस्था में होता है।

नॉन-स्मॉल सेल फेफड़ों का कैंसर (Non Small Cell Lung Cancer)

नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम प्रकार है, जो सभी मामलों का लगभग 85% होता है। इसे और भी तीन उपप्रकारों में विभाजित किया जाता है: एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma), स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma), और लार्ज सेल कार्सिनोमा (Large Cell Carcinoma)। 

कारण और जोखिम कारक (Causes and Risk Factors of Non Small Cell Lung Cancer in Hindi)

नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

  1. धूम्रपान: धूम्रपान NSCLC का भी प्रमुख कारण है। धूम्रपान छोड़ने के बाद भी जोखिम बना रह सकता है।
  2. वायु प्रदूषण: लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना। प्रदूषण के तत्व फेफड़ों को क्षति पहुंचा सकते हैं।
  3. रेडॉन गैस: रेडॉन गैस एक अदृश्य और गंधहीन रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी और चट्टानों में पाई जाती है। यह घरों में घुस सकती है और लंबी अवधि में फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकती है।
  4. आनुवंशिक कारक: कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन भी NSCLC के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

लक्षण और संकेत (Symptoms and Signs of Non Small Cell Lung Cancer in Hindi)

नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  1. लगातार खांसी: लंबे समय तक खांसी का बने रहना, जो समय के साथ बढ़ सकती है।
  2. छाती में दर्द: छाती में दर्द या दबाव महसूस होना, जो खांसने या गहरी सांस लेने पर बढ़ सकता है।
  3. सांस की तकलीफ: शारीरिक गतिविधि के दौरान सांस लेने में कठिनाई।
  4. खून की थूक: खांसी के साथ खून आना।
  5. स्वर बैठना: आवाज का भारी होना या बदल जाना।

निदान (Diagnosis Process of Non Small Cell Lung Cancer in Hindi)

NSCLC के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं:

  1. सीटी स्कैन: फेफड़ों की विस्तृत तस्वीरें लेने के लिए।
  2. पीईटी स्कैन: कैंसर कोशिकाओं की गतिविधियों को देखने के लिए। यह परीक्षण कैंसर के फैलाव की सीमा का निर्धारण करने में मदद करता है।
  3. बायोप्सी: टिशू का नमूना लेकर कैंसर की पुष्टि और प्रकार का निर्धारण करना।
  4. फेफड़ों की कार्यक्षमता परीक्षण: फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच करने के लिए परीक्षण।

उपचार विकल्प (Treatment Options for Non Small Cell Lung Cancer in Hindi) 

नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के उपचार में निम्नलिखित विकल्प शामिल हैं:

  1. सर्जरी: कैंसरग्रस्त हिस्से को शल्यक्रिया द्वारा हटाना। यदि कैंसर प्रारंभिक अवस्था में है, तो सर्जरी एक प्रभावी उपचार हो सकता है।
  2. इम्यूनोथेरेपी: रोग प्रतिरोधक तंत्र को सक्रिय करके कैंसर से लड़ना। यह कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में मदद करता है।
  3. टारगेटेड थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट उत्परिवर्तनों को लक्षित करने वाली दवाओं का उपयोग। यह उपचार उन मामलों में प्रभावी होता है जहां विशिष्ट आनुवंशिक परिवर्तन होते हैं।
  4. रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग। यह सर्जरी के बाद या जब सर्जरी संभव नहीं होती है, में प्रयोग किया जाता है।

स्मॉल सेल और नॉन-स्मॉल सेल कैंसर के बीच अंतर (Difference Between Small Cell and Non-Small Cell Cancer in Hindi)

  1. कोशिकाओं की संरचना: स्मॉल सेल कैंसर में कोशिकाएं छोटी और गोल होती हैं, जबकि नॉन-स्मॉल सेल कैंसर में कोशिकाएं बड़ी और विभिन्न आकारों की होती हैं।
  2. विकास और प्रसार की दर: स्मॉल सेल कैंसर तेजी से बढ़ता और फैलता है, जबकि नॉन-स्मॉल सेल कैंसर की वृद्धि दर धीमी होती है।
  3. उपचार के प्रति प्रतिक्रिया: स्मॉल सेल कैंसर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के प्रति अधिक संवेदनशील होता है, जबकि नॉन-स्मॉल सेल कैंसर में सर्जरी और इम्यूनोथेरेपी के अधिक उपयोग किए जाते हैं।

रोकथाम और जागरूकता (Prevention and Awareness of SCLC and NSCLC in Hindi)

  1. धूम्रपान रोकथाम: धूम्रपान छोड़ना और अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन न करना फेफड़ों के कैंसर की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है।
  2. नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से फेफड़ों की जांच कराना। शुरुआती चरण में कैंसर का पता चलने पर उपचार अधिक प्रभावी होता है।
  3. जागरूकता अभियान: फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान और कार्यक्रम आयोजित करना। इससे लोग कैंसर के लक्षणों को पहचानने और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
  4. स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली अपनाना: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और प्रदूषण से बचाव करने से फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सकता है।

निष्कर्ष

फेफड़ों के कैंसर के प्रकारों को समझना और उनके बीच के अंतर को जानना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उचित निदान और उपचार किया जा सके। डॉ. परवीन यादव और उनकी टीम चेस्ट सर्जरी इंडिया में फेफड़ों के कैंसर के निदान और उपचार में विशेषज्ञता रखते हैं, जो रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।

सामान्य प्रश्न एवं उत्तर

1. फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण क्या हैं?

धूम्रपान और वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण हैं।

2. स्मॉल सेल लंग कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?

स्मॉल सेल लंग कैंसर का निदान इमेजिंग परीक्षण और बायोप्सी के माध्यम से किया जाता है।

3. नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के उपप्रकार कौन-कौन से हैं?

एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, और लार्ज सेल कार्सिनोमा नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के उपप्रकार हैं।

4. फेफड़ों के कैंसर के लक्षण क्या हैं?

लगातार खांसी, सांस की तकलीफ, छाती में दर्द, और वजन घटना फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

5. स्मॉल सेल और नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर में अंतर क्या है?

स्मॉल सेल कैंसर तेजी से बढ़ता है और अधिक आक्रामक होता है, जबकि नॉन-स्मॉल सेल कैंसर की वृद्धि दर धीमी होती है।

6. फेफड़ों के कैंसर की रोकथाम के लिए क्या किया जा सकता है?

धूम्रपान छोड़ना, वायु प्रदूषण से बचाव करना, और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना फेफड़ों के कैंसर की रोकथाम के उपाय हैं।

डॉ. परवीन यादव के बारे में

डॉ. परवीन यादव गुड़गांव, दिल्ली में फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए अत्यधिक अनुशंसित सर्जन या विशेषज्ञ हैं। वह मिनिमली इनवेसिव और रोबोटिक थोरेसिक ओन्को सर्जरी में माहिर हैं। चेस्ट से संबंधित (चेस्ट सर्जरी) बीमारियों, जैसे कि एसोफैगल (फूड पाइप कैंसर), फेफड़ों के कैंसर, श्वासनली (गले), चेस्ट की दीवार के इलाज में उनकी विशेषज्ञता के लिए उन्हें गुड़गांव, दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ चेस्ट सर्जन के रूप में 17+ वर्षों से मान्यता दी गई है। ट्यूमर, मीडियास्टिनल ट्यूमर, एम्पाइमा, और ब्रोन्कोप्ल्यूरल फिस्टुला कैंसर। सटीकता और नवीनता पर ध्यान देने के साथ, वह इष्टतम परिणाम सुनिश्चित करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए, अपने रोगियों को असाधारण देखभाल प्रदान करने के लिए समर्पित है।

 

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